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भारत में क्रिकेट को बहुत ज्यादा प्यार और सम्मान मिलता है। भारत में क्रिकेट के दीवाने बहुत से देखने को मिलते हैं। और क्रिकेट की बात हो और विराट कोहली का नाम ना आए। ऐसा हो ही नहीं सकता। लेकिन बहुत सारे लोग अभी भी विराट कोहली के बारे में नहीं जानते हैं। विराट कोहली ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। और आज यह लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं। कोहली ने आज वह मुकाम हासिल किया है। जहां पर पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है।  भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली का नाम आज दिग्गज क्रिकटरों में शुमार है। लेकिन ये सफर उनके लिए असान नहीं था। एक समय ऐसा भी था, जब उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। भारत के तीनों फॉर्मेट के कोहली कभी कप्तान भी रह चुके हैं। विराट कोहली का जन्म दिल्ली में पिता प्रेम कोहली और माता सरोज कोहली के घर में तीसरे बच्चे के रूप में 5 नवंबर 1988 को हुआ। विराट के पिता पेशेवर आपराधिक मामलों के वकील थे और माँ सरोज कोहली घर संभालती हैं। विराट को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का जुनून था। तीन साल के ही उम्र में जब अन्य बच्चे अपने पैरों पर अच्छे से चल नहीं पाते थे, उस उम्र में छोटे विराट कोहली ने अपने नन्हे से हाथों में बल्ला थाम लिया था। उस दिन के बाद से विराट ने खुद को पूरी तरह से किक्रेट को समर्पित कर दिया। और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। विराट कोहली ने क्रिकेट को ही अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य चुन लिया था। अब सिर्फ देर थी उनके पेशेवर क्रिकेटर बनने के लिए क्रिकेट अकादमी में दाखिल होने की। इनकी यह मुराद पूरी तब हुई जब उनके पिता प्रेम कोहली ने उनका नौ साल की उम्र में वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादेमी में दाखिला करा दिया। जहाँ उन्हें क्रिकेट की बारीकियों को समझाने के लिए उनके गुरु राजकुमार शर्मा मिले। विराट कोहली का यह मानना है कि अगर जीवन में कुछ करना है तो हर चुनौती का खुलकर सामना करना चाहिए। विराट ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के पश्चिम विहार स्थित विशाल भारती पब्लिक स्कूल से की। यह एक CBSE मान्यता प्राप्त स्कूल है। विराट कोहली को अपनी क्रिकेट के अभ्यास को रोकना नहीं था इसके लिए विराट ने स्कूल को बदलना बेहतर समझा। और पश्चिम विहार में ही स्थित Saviour Convent स्कूल में उन्होंने एड्मिसन लिया। विराट कोहली ने इस स्कूल में 9वीं से 12वीं कक्षा तक कि पढाई पूरी की। बाहरवीं के बाद विराट कोहली ने कोई पढ़ाई नहीं की क्योंकि इसके बाद वो क्रिकेट के मैदान में अपना सुनहरा कदम रख चुके थे। एक इंटरव्यू में विराट ने बताया कि वह क्रिकेट के मुताबिक फिट प्लेयर की लिस्ट में नहीं आते थे। फिट होने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की और साथ ही अपनी पसंद के खाने का त्याग किया। कहते हैं न कि ढूंढने पर ईश्वर की प्राप्ति भी हो जाती है तो विराट कोहली ने कड़ा संघर्ष किया जिसके कारण आज वह न ही भारत क्रिकेट टीम बल्कि पूरे विश्व के क्रिकेटर में सबसे अधिक फिट हैं। विराट ने हर मैच में बहुत मेहनत कि है। और मैचों में अच्छा स्कोर भी किया। जिसके बाद वो सभी के दिल में छा गए। लेकिन एक समय वो था जब विराट कोहली का स्टेट टीम में चयन नहीं हुआ था। अपने बेहतर प्रदर्शन के बाद भी विराट रिजेक्ट हो गए थे। इसको लेकर वे काफी परेशान थे और रातभर रोए भी थे। विराट कोहली जब 17 साल के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। उस दौरान वो दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान पर दिल्ली और कर्नाटक के बीच रणजी ट्रॉफी का मैच खेल रहे थे। वो 40 रन बनाकर नबाद थे। और उन्हें अगले दिन बल्लेबाजी करने के लिए जाना था। उस समय टीम पर हार का खतरा मंडरा रहा था और ऐसे में विराट कोहली पर ही पूरी टीम की नजरें टिकी हुई थी। विराट जब दिन का खेल खत्म कर अपने होटल के कमरे में पहुंचे तो उनके पास रात तीन बजे अचानक घर से कॉल आया। घरवालों ने कहा कि ब्रेन स्टोक के चलते उनके पिता का निधन हो गया है। इस बात को सुनते ही विराट तुरंत घर आ गए। लेकिन अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि वह ऐसी स्थिति में अपने परिवार के साथ रहे या फिर टीम के लिए खेलने जाए। ऐसे में कोहली ने घर की जगह मैदान पर जाना बेहतर समझा। विराट मैदान में उतरे और 90 रनों की पारी खेलकर टीम को फॉलोऑन से बचा लिया। वो समय विराट के लिए काफी मुश्किल था। विराट कोहली ने अपने क्रिकेट सफर की शुरुआत श्रीलंका के खिलाफ दाम्बुला में 18 अगस्त 2008 को की और टेस्ट मैच में भारत के लिए 20 जून 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ उतरे। तब से लेकर अब तक खेले गए हर मैच में उन्होंने कई रिकार्ड्स तोड़े और नए रिकार्ड्स बनाए हैं।

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